Friday 6 April 2018

लालू अपने संदेश के माध्यम से साध रहे हैं बिहार की सियासत, समर्थकों पर पड़ रहा है व्यापक प्रभाव, जानें

लालू अपने संदेश के माध्यम से साध रहे हैं बिहार की सियासत, समर्थकों पर पड़ रहा है व्यापक प्रभाव, जानेंपटना : बिहार के सबसे बड़े सियासी परिवार के मुखिया लालू यादव चारा घोटाला मामले में जेल में बंद हैं. हाल के दिनों में उनकी तबीयत भी काफी नासाज रही है. इलाज के लिए लालू दिल्ली गये हुए हैं. वहीं राजनीतिक रूप से उनकी सक्रियता कहीं कम नहीं हुई है. सपा के अखिलेश यादव हों, या फिर भाजपा के शत्रु बिहारी बाबू, लगातार लालू के संपर्क में बने हुए हैं. बाकी नेताओं के साथ राजद नेता और समर्थकों की सहानुभूति लगातार लालू के साथ जुड़ी हुई है. अब गाहे-बगाहे लालू अपने संदेश के माध्यम से बिहार की सियासत को साध रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अपने बेटे तेजस्वी यादव को यह भरोसा दिलाने में कामयाब हो रहे हैं कि उनकी पीठ पर उनके सियासी अनुभव का हाथ हमेशा बना हुआ है. इसलिए तेजस्वी यादव चिंता न करें.

 राजनीतिक जानकारों की मानें, तो लालू यादव कहीं भी रहें, उनकी निगाह बिहार की राजनीतिक और देश में हो रहे सियासी हलचलों पर टिकी रहती है. इन दिनों वह लगातार केंद्र सरकार के खिलाफ आग उगल रहे हैं और अपने समर्थकों को संदेश के माध्यम से साधने में लगे हुए हैं. लालू ने गुरुवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर प्ररहार करते हुए आरोप लगाया कि देश में अघोषित आपातकाल की स्थिति है और आजादी के 70 सालों में दबे कुचले और उपेक्षित वर्ग ने इतना बुरा दौर कभी नहीं देखा. पटना हुए राजद विधायकों की बैठक के दौरान लालू के संदेश को बैठक के बीच में ही पढ़ा गया. 

लालू के संदेश में यह साफ था कि तेजस्वी के नेतृत्व में राजनीति करने वाले पार्टी के विधायक यह समझ जायें कि पल भर के लिए भी लालू की निगाह पार्टी से दूर नहीं हुई है और वह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. बैठक में लालू के संदेश को सबसे ज्यादा तहजीह दी गयी और उसे सभी विधायकों को मूल मंत्र समझकर आत्मसात करने की हिदायत भी दी गयी. संदेश में कहा गया है कि समाज के कमजोर वर्ग राजद से आस लगाए बैठे हैं कि हम उनकी वेदना को पूरी ताकत से हर मंच पर उठाएं और उनकी आवाज को बुलंद करें. 

लालू ने इस संदेश में आगे लिखा है कि आजादी के 70 सालों में दबे कुचले और उपेक्षित वर्ग ने इतना बुरा दौर कभी नहीं देखा. यह अघोषित आपातकाल का दौर आपातकाल से भी अधिक खतरनाक है क्योंकि आज संविधान को बदलने की बात ही धड़ल्ले से की जा रही है. राजद प्रमुख जो कि वर्तमान में दिल्ली के एम्स में इलाजरत हैं, ने अपने संदेश में आरोप लगाया है कि कमजोर वर्ग की रक्षा करने वाले कानून को हटाया और बदला जा रहा है. सरकार के विरूद्ध आवाज उठाने को देशद्रोह का नाम दिया जा रहा है. स्वयं केंद्र सरकार की ओर से उन ताकतों को बल दिया जा रहा है जो समाज को बांटने, समाज का ध्रुवीकरण करने और ध्रुवीकरण के आधार पर ही चुनाव जीतने को अपना लक्ष्य मानकर आगे बढ़ रही हैं. 

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